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Uchchatan Pryog Shatru Vinasak

।। जय श्री महाकाल ।।
अमोघ उच्चाटन तंत्र :
उच्चाटन तंत्र से किसी भी इंसान का मन भ्रमित एवं शंकित हो जाता है। प्रेमी-प्रेमिका में, पिता-पुत्र में, पति-पत्नी में, भाई-भाई में या मित्र-मित्र या अन्य के बीच उच्चाटन क्रिया की जाती है। उच्चाटन तंत्र सम्पन्न होने पर वे दोनों परस्पर शत्रु बन जाते हैं, तथा एक दूसरे को हर दृष्टि से नुकसान देने की कोशिश में लग जाते हैं।
उच्चाटन तंत्र प्रयोग विधि :
निम्न प्रयोग अत्यंत प्रचंड एवं शक्तिशाली है। किसी भी अमावस्या, ग्रहण काल या किसी सिद्ध दिवस पर यह क्रिया करे। मिट्टी के किसी पात्र में खीर पकाएं और खीर पकाते समय निम्न मंत्र का जप तीन सौ बार करे एवं खीर में फूंक मारते रहे।
मंत्र : “ओ३म् ह्रौं ग्लॏं कॏं भ्रॏं भगवती दण्डधारिणी (अमुकस्य अमुकं) शीघ्रं उच्चाटनं उच्चाटनं रोधय रोधय भंजय भंजय श्रीं मायाराग्यै भ्रं भ्रं हुं हुं ।”
(अमुकस्य अमुकं) के स्थान पर दोनों इंसान का नाम ले।
(निम्न मंत्र को किसी शुभ दिवस सवा लाख जप कर सिद्ध कर ले।)
जब खीर पूर्णता पक जाए तो उसे किसी काले कुत्ते को खिला दे, काले कुत्ते द्वारा खीर समाप्त होते ही उन दोनों में उच्चाटन हो जायगा ।
नोट – किसी भी प्रकार के तंत्र मंत्र यंत्र का प्रयोग अति आवश्यक स्थिति में ही मात्र किसी के हित हेतु किसी योग्य सिद्ध गुरु के मार्गदर्शन में ही करें अन्यथा छोटी सी चूक आपके साथ साथ आपके पूरे परिवार का अनिष्ट संभव। अति घातक दुष्परिणाम के जिम्मेदार आप स्वयं।

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