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माँ धूमावती साधना विधि || Maa Dhumavati Sadhana Vidhi

माँ धूमावती साधना विधि || Maa Dhumavati Sadhana Vidhi
आज हम आपको Maa Dhumavati Sadhana विधि के बारे में बताने जा रहे हैं ! यह तो आप सब जानते है की दस महाविद्याओं में सप्तम स्थान पर Maa Dhumavati Sadhana मानी जाती हैं ! इस साधना को करने से के बाद साधक के जीवन में बहुत ही समस्याओं का स्वयं ही निवारण हो जाता हैं !! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे माँ धूमावती साधना विधि || Maa Dhumavati Sadhana Vidhi को जानकर आप भी महाविद्या धूमावती साधना पूरी कर सकते हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें

माँ धूमावती साधना कब करें || Maa Dhumavati Sadhana Kab Kare :
महाविद्या धूमावती साधना को करने के लिए साधक की समस्त सामग्री में विशेष रूप से सिद्धि युक्त होनी चाहिये ! यदि ऐसा नही हुई तो आप यह Maa Dhumavati Sadhana नही कर सकोंगे ! महाविद्या Dhumavati Sadhana के साधक को सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “धूमावती यंत्र”, “धूमावती माला”, ये चीजें होनी चाहिये ! महाविद्या धूमावती साधना आप नवरात्रि या किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार और रविवार के दिन से शुरू कर सकते हैं ! Maa Dhumavati Sadhana का समय शाम को 7 बजे रात्रि 12 के बीच के समय में कर सकते हैं !

माँ धूमावती साधना पूजा विधि || Maa Dhumavati Sadhana Puja Vidhi :
महाविद्या धूमावती साधना वाले साधक को स्नान करके शुद्ध काले वस्त्र धारण करके अपने घर में किसी एकान्त स्थान या पूजा कक्ष में पश्चिम दिशा की तरफ़ मुख करके काले ऊनी आसन पर बैठ जाए ! उसके बाद अपने सामने चौकी रखकर उस पर काले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर प्लेट रखकर काजल से “धूं” लिखें ! उसके बाद धूमावती यंत्र को गंगाजल से धोकर प्लेट के ऊपर लिखे धूं के ऊपर के ऊपर सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त “धूमावती यंत्र” को स्थापित करें ! उसके बाद यन्त्र पर रोली से तीन बिंदी लगाये ! यह तीनों बिंदु सत्व, रज एवं तम गुणों के प्रतीक स्वरुप हैं ! उसके बाद यंत्र के सामने तेल का दीपक जलाकर यंत्र का पूजन करें और मन्त्र विधान के अनुसार संकल्प कर सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग पढ़े :

अस्य श्री धूमावती महामन्त्रस्य पिप्पलाद ऋषि: त्रिव्रत् छन्द: श्री ज्येष्ठा धूमावती देवी धूं बीजं स्वाहा शक्ति: धँ कीलकं ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: ।

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ऋष्यादि न्यास : बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपने भिन्न भिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है ! Maa Dhumavati Sadhana मंत्र :

पिप्पलाद ऋषये नम: शिरसि ( सर को स्पर्श करें )

त्रिव्रत् छन्दसे नम: मुखे ( मुख को स्पर्श करें )

श्री ज्येष्ठा धूमावती देवतायै नम: हृदय ( हृदय को स्पर्श करें )

धूँ बीजाय नम: गुह्ये ( गुप्तांग को स्पर्श करें )

स्वाहा शक्तये नम: पादयोः ( दोनों पैर को स्पर्श करें )

विनियोगाय नम: सर्वांगे ( पूरे शरीर को स्पर्श करें )

कर न्यास : अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने हाथ की विभिन्न उंगलियों को स्पर्श करें, ऐसा करने से उंगलियों में चेतना प्राप्त होती है ।

धां अंगुष्ठाभ्यां नम:।

धीं शिरसे स्वाहा ।

धूं मध्यमाभ्यां नम:।

धैं अनामिकाभ्यां नम:।

धौं कनिष्ठिकाभ्यां नम:।

ध: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:।।

ह्र्दयादि न्यास : पुन: बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है ! Maa Dhumavati Sadhana मंत्र :

धां ह्रदयाय नम: ( ह्रदय को स्पर्श करें )

धीं शिरसे स्वाहा ( सिर को स्पर्श करें )

धूं शिखायै वष् ( शिखा को स्पर्श करें )

धैं कवचाय हुम् ( कंधे को स्पर्श करें )

धौं नेत्रत्रयाय वौषट् ( दोनों नेत्रों को स्पर्श करें )

ध: अस्त्राय फट् ( सर पर हाथ घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं )

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धूमावती ध्यान : इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती धूमावती का ध्यान करके पूजन करें। धुप, दीप, चावल, पुष्प से तदनन्तर धूमावती महाविद्या मन्त्र का जाप करें ।

र का जाप करें !

विवर्णा चंचला कृष्णा दीर्घा च म्लिनाम्बरा ।

विमुक्त कुंतला रूक्षा विधवा विरलद्विजा ।।

काकध्वज रथारुढ़ा विलम्बित-पयोधरा ।

शूर्पहस्तातिरूक्षाक्षा धूमहस्ता वरान्विता ।।

प्रव्रद्धघोणा तु भ्रशं कुटिला कुटिलेक्षणा ।

क्षुत्पिपासार्दिता नित्यं भयदा कलहास्पदा ।।

ऊपर दिया गया पूजन सम्पन्न करके सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “धूमावती माला” की माला से नीचे दिए गये Dhumavati Sadhana मंत्र की 23 माला 11 दिनों तक जप करें ! और Dhumavati Sadhana मंत्र उच्चारण करने के बाद धूमावती कवच का पाठ करें !

माँ धूमावती साधना सिद्धि मन्त्र || Maa Dhumavati Sadhana Siddhi Mantra

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।। धूं धूं धूमावती ठ: ठ: ।।

मंत्र उच्चारण करने के धूमावती कवच पढ़ें. दी गई यह महाविद्या Dhumavati Sadhana ग्यारह दिनों की साधना है ! Dhumavati Sadhana करते समय साधक पूर्ण आस्था के साथ नियमों का पालन जरुर करें ! और नित्य जाप करने से पहले ऊपर दी गई संक्षिप्त पूजन विधि जरुर करें ! साधक Dhumavati Sadhana करने की जानकारी गुप्त रखें ! ग्यारह दिनों के बाद मन्त्रों का जाप करने के बाद दिए गये मन्त्र जिसका आपने जाप किया हैं उस मन्त्र का दशांश ( 10% भाग ) हवन अवश्य करें ! हवन में काली मिर्च, काले तिल, शुद्ध घी व् हवन सामग्री को मिलाकर आहुति दें ! हवन के बाद धूमावती यंत्र को अपने घर से पश्चिम दिशा में पड़ने वाले काली मंदिर में दान कर दें और बाकि बची हुई पूजा सामग्री को नदी या किसी पीपल के नीचे विसर्जन कर आयें ! ऐसा करने से साधक की साधना पूर्ण हो जाती हैं ! और साधक के ऊपर माँ धूमावती देवी की कृपा सदैव बनी रही हैं ! Dhumavati Sadhana करने से साधक के समस्त शत्रु जड़ से समाप्त हो जाते हैं ! इस साधना से साधक अपने शत्रुओं का स्तम्भन और नाश कर सकता हैं !

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