
सच कहूं तो तंत्र तो आज भी मेरे लिए रोमांच ही है और आज भी मेरे लिए उसमे अनंत खोज बाकी है क्योंकि इसमें हर दिन मुझे नए आयाम प्राप्त होते है। हर दिन मुझे नए विषय में ज्ञात होता है और हर दिन लगता है की ये चीज तो आज तक मेने समझा ही नहीं और ना ही सीख पाया। खैर ये एक लंबा विषय है समझने और समझाने के लिए। में अपने विषय में आगे की यात्रा के विषय में आप सभी को बताता हु।
इस दिन कामरू देश का काला जादू किताब मेरे हाथ में आई। आपने कमरे में जाकर उसको पढ़ने बैठा और एक ही जगह बैठकर पूरी किताब पढ़ लिया। बहोत ही बढ़िया बढ़िया साधनाएं उसमे दी हुई थी। बहोत सारे यंत्र प्रयोग दिए हुए थे और तंत्र की बहोत सारी जानकारी उसमे दिया हुआ था। कुछ यंत्र केवल लिखने से काम करने वाले थे तो कुछ को सिद्ध करने के मंत्र और विधान दिए हुए थे। बहोत सारे मंत्र उसमे बताए थे जिसमे से सभी प्रयोग एक से एक बढ़कर थे। कुछ प्रत्यक्ष सिद्धि वाले प्रयोग थे तो कुछ कार्य सफलता के भी प्रयोग थे। किताब तो पढ़ लिया और अब ये सोच लिया कि प्रयोग तो करने ही करने है चाहे कुछ भी हो जाए। मेरे लिए प्रयोग किया नही तो पता कैसे चलेगा की ये सही है की नही ये बात थी ही नहीं। मेरे लिए तो सब प्रयोग सही है और जो दिया है वो सिद्धि प्राप्त करने की उस समय केवल सोच थी। मुझे उस समय ये नही लगा था की पुस्तकों में दिए सभी प्रयोग सही नही होते है।
मुझे सबसे पहला प्रयोग धन से संबंधित करने की इच्छा हुई और मेने वही करने के लिए सोचा। पुस्तक में एक यंत्र दिया हुआ था। यंत को 7 दिन लिखकर सामने रखकर मंत्र का 11 माला जप करना था। फिर अंतिम दिन 108 यंत्र लिखकर उसे आटे की गोलियों में डालकर मछली को डालना था। मेने उसी प्रकार किया। बीच प्रयोग में ही मेरे घर वाले मिलने आए और मुझे पैसे मिले। मुझे ये प्रयोग का जादू लगा। उसके बाद मेरे फूफाजी के साथ गांव में प्रसंग में गया वहा आप भी सभी लोगो ने रिवाज के तौर पर पैसे दिए। उसी वक्त स्कूल से शिश्यवृति आ गई और वो भी पैसे मिले। कुल मिलाकर ये प्रयोग के समाप्ति के बाद अच्छा खासा रिस्पांस मिला मुझे और लगा की कही न कही ये प्रयोग काम कर रहा है। यंत्र को मेने अपनी पॉकेट में ही रख दिया। मेरा उत्साह और ज्यादा बढ़ गया और में दूसरे प्रयोग करने की सोचने लगा। मेरे पास पैसे भी थे और दुकान में किताबे भी थी। फिर कुछ मित्रो से ये पता चला की यहा पर लाइब्रेरी है और वहा सब किताबे मिलती है। में तुरंत पहुंच गया और वहा बहुत सारी किताबे थी। साधना उपासना से संबंधित किताबे भी बहोत थी मगर तंत्र से रिलेटेड किताबे बहोत कम देखने को मिली। फिर मेरी नज़र एक किताब पर पड़ी जिसका नाम मंत्र दिवाकर था जो गुजराती भाषा में थी और धीरजलाल शाह की थी। में किताब को इश्यू करवाकर घर ले आया। मेने अपने कमरे में रात को किताब पढ़ने लगा और उसमे दिए अद्भुत प्रयोग पढ़ने लगा। पक्षियों की आवाज और प्राणियों की आवाज समझ सकने के मंत्र दिए हुए थे तो कुछ यंत्र दिए हुए थे और कुछ तंत्र प्रयोग भी थे। पहले मुझे आवाज वाली साधनाएं अच्छी लगी। सोचा कि अभी मंत्र को सिद्ध कर लूंगा और पक्षियों की आवाज समझने लगूंगा। मेने कौवे के आवाज सुनने वाले मंत्र की साधना शुरू किया। पूर्ण विधि विधान से साधना किया मगर कुछ प्राप्त नहीं हुआ। में निराश हो गया। मुझे लगा की धन वाले यंत्र से पैसे आने वाली बात भी शायद गलत थी। मुझे लगा की तंत्र नही होता है और नही इसका कोई फल मिलता है। मगर उस पुस्तकों में लिखे प्रयोग मुझे सोने नही देते थे। बार बार मुझे फिर से प्रयोग करने की इच्छा होती थी। बार बार मुझे विवश करता था साधना करने के लिए। दूसरी तरफ मेरी परीक्षा नजदीक आ रही थी और पढ़ाई लिखाई कुछ हुई नही थी। उस समय तो मेरे सिर पर तंत्र का भूत जो सवार था। मेने सोचा अब कुछ भी करके अच्छे गुण प्राप्त करने पड़ेंगे। उस समय मेने एक प्रयोग देखा कौए के पंख से धागा बनाने के विषय में जिससे किसी भी कार्य में सफलता मिले। मेने वही प्रयोग करने के विषय में सोचा और पूर्ण विधिवत मेने धागे का निर्माण किया और दाई भुजा पर धारण किया। परीक्षा आ गई और अच्छी गई और अच्छे गुण भी मिले। मेरी तैयारी के हिसाब से और सायंस में तो में जबरदस्त घुस गया था उस हिसाब से अच्छे मार्क्स आए और ये चमत्कार मुझे धागे का ही लगा। फिर से मेरी आशा जीवंत हुई की कही न कही तो कुछ रहस्य है। जो में नही जानता हु मगर काम कर रहा है। दोनो किताब के बहोत सारे कार्य सिद्धि और यंत्र आदि के प्रयोग किए कुछ सफल और कुछ निष्फल रहे। मुझे ये एहसास हुआ कि सभी प्रयोग पुस्तक में सही नही है मगर कुछ काम के है। अब उन दोनो किताबो में कुछ साधनाएं दी थी जो प्रत्यक्षीकरण आदि विषय पर थी। कुछ विधान सरल थे और कुछ विधान कठिन थे जो घर पर नहीं हो सकते थे और में करने के लिए कही जा भी नही सकता था। फिर एक दिन मेने गौ जोगिन का एक प्रयोग जो कामरू देश की किताब में लिखा हुआ था वो करने के लिए ठान लिया और शुक्रवार के दिन प्रयोग करने के लिए सारी तैयारियां कर ली।
आगे और भी रोचक मोड़ है। हमारे साथ बने रहे।
#brambhnath