
कभी कभी यक्षिणी 24 घंटे में भी सिद्ध हो जाती है जितना साधक का विस्वास जितनी श्रद्धा उतना तुरंत जल्दी फल साधक को मिलेगा.
तो आइये रतिप्रिया यक्षिणी साधना कैसे की जाती हे उसका मंत्र और उसको सिद्ध करने का विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से समझते हैं।
मंत्र
“ॐ ह्रीं रतिप्रिये स्वाहा।”
साधना विधि-
ये सिद्धि कितने दिन में मिलेगी ये में खुलासे के साथ नहीं कहता पर साधक को जब तक सिद्धि न मिले तब तक ये साधना शुरू ही रखनी हे,गणेश पूजन और गुरु पूजन करके इस साधना का आरम्भ करे,
भोजपत्र पर सिंदूर द्वारा एक ऐसी देवी का चित्र बनाए जो गौर वर्ण, आभूषणों से सुसज्जित एवं कमल पुष्पों से अल- कृत हो । श्वेत कागज पर भी यह चित्र बनाया जा सकता है। तदुपरान्त उस चित्र का चमेली के फूलों से पूजन करे तथा उक्त मन्त्र का एक एकचित जप करे। इस क्रिया को सात दिन तक, तीनों समय करना चाहिए ।अथवा प्रतिदिन ५००० मंत्र का जप और तीन बार पूजनादि को क्रिया करनी चाहिये। साधन पूरा होने पर अर्ध रात्रि के समय ‘रतिप्रिया यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को पच्चीस स्वर्ण मुद्रा प्रदान करती है-
इस तरह साधक रतिप्रिया यक्षिणी साधना करके सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना को पूर्ण कर सकता हे.