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Author name: Brambh

kaise kare apna ghar ka bandhan

घर बन्धन कैसे होता हैं यह हर व्यक्ति के लिए जानना बहुत आवश्यक है-: जिस प्रकार रस्सी से बांध देने से व्यक्ति असहाय होकर कुछ कर नहीं पाता उसी प्रकार किसी व्यक्ति, घर, परिवार, व्यापार आदि को तंत्र-मंत्र आदि द्वारा अदृश्य रूप से बांध दिया जाए तो उसे ऐसा लगता है कि उसकी प्रगति रुक गई है और घर-परिवार संकटों से घिर गया है। उस तरह के बहुत से संकट व्यक्ति के जीवन में आने लगते हैं। जैसे-: गृहकलह व्यापार नुकसान तालेबंदी नौकरी का छुट जाना ऐसा लगता है कि कोई उन पर नज़र रखे हुए है हर काम में बाधा बीमारी और आलस्य (दिन के समय अधिक नींद आना) लोग फायदा उठाने के बाद छोड़ देते हैं कोई सम्मान नहीं करता परिवार के सदस्यों का एक दूसरे से मोह न रहना ऐसा व्यक्ति जब भी कोई उपाय करवाने की सोचता है अगले ही क्षण उसका मन बदल जाता है ऐसा भी बंधन के कारण होता है। आदि और भी कई प्रकार के संकट होने लगते हैं ऐसा व्यक्ति जीवन में इतना असहाय हो जाता है लाख प्रयास करने के बाद भी इन प्रकार के समस्याओं से निकल नहीं पाता है। जीवन बहुत ही अंधकार में लगने लगता है। जीवन भर समस्याओं में उलझ कर रहता है। खुद तो पूरा जीवन कष्ट भोगता ही है आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खुशहाली और प्रगति की कोई उम्मीद नहीं रहती है। घर बन्धन मुक्ति यन्त्र से उपाय -: यदि आपके साथ भी ऊपर लिखित समस्याएं हो रही हैं और ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपके घर के ऊपर कोई ना कोई बंधन हुआ है। इसलिए सबसे पहले आपको खुद अनुभव करना है कि क्या ऐसी समस्याएं मेरे घर पर भी आ रही हैं? आपको खुद अनुभव होने लगेगा। जब आपको लगे कि आप समस्या हो सकती है तो आपको किसी जानकार व्यक्ति से संपर्क करके सब बातें स्पष्ट कर लेनी चाहिए और उनके जल्द से जल्द उपाय करवा देना चाहिए घर बंधन मुक्ति के लिए सबसे अच्छा और सस्ता उपाय घर बन्धन मुक्ति यंत्र का उपाय होता है। जिसको अमुक व्यक्ति की कुछ जानकारी लेकर अभिमंत्रित/सिद्ध करके बनाया जाता है। इस शक्तिशाली यन्त्र को घर में रखते ही बन्धन के कारण घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियाँ बहार निकलने लगती हैं। पितर बन्धन मुक्त होकर घर में आ जाते हैं। व्यक्ति को आत्मशुद्धि आने लगती है। और जिस व्यक्ति ने ये सब करवाया होता है वही बर्बाद होने लगता है। ।।जा ने भेजा ता को खाये।। फेर हमे ना कभी सुरत दिखाये।। ।।आदेश गुरु जी।।

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Dakini sadhnaa

dakini tantra sadhana डाकिनी शाकिनी साधना खतरनाक डाकिनी साधना dakini tantra sadhana डाकिनी के कई रूप हैं इसका यह रूप काली से ही संबंधित है इसका एक रूप छिन्नमस्ता भी है यह वह शक्ति हैं जो किसी इकाई के ऊर्जा सर्किट में विध्वांसक क्रियाओं को संपन्न करती है इससे ही सर्किट में नई इकाइयों की या नई इकाइयों की गति चलती है डाकिनी की साधना चतुर्दस कृष्ण पक्ष की आर्ध रात्रि से प्रारंभ करनी चाहिए स्थान (dakini tantra sadhana) शमशान या निर्जन वन समय अर्ध रात्रि कृष्ण चतुर्दशी सामग्री मांस, मदिरा, रक्त चंदन, खोपड़ी, लाल रक्तिम पुष्प, कुमकुम, सरसों तेल, नारियल का गोला, किसमिस, सुखे मेवे , लाल चंदन की माला आदि किसी निर्जन स्थान या वन में जाकर साधना स्थल को सिंदूर , और सरसों के तेल को मिलाकर मूल मंत्र को पढ़कर घेरा लनाएं सामने मूर्ति स्थापित करके तेल का दीपक जलाकर देवी की पूजा करें। पूजा में उपयुक्त सामग्री प्रयुक्त करें तत्पश्चात खोपड़ी स्थापित करके सिंदूर लगाकर उसकी भी पूजा करें पूजा के बाद पूर्वोक्त विधि से नारियल के जटाओं को जलाकर हवन करें हवन मूल मंत्र से 108 बार करें डाकिनी सिद्धि मंत्र ओम क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं एन डाकिनी हुं हुं हुं फट स्वाहा पूजा में प्रत्येक मंत्र के बाद खोपड़ी पर तेल सिंदूर आंदि लगाएं डाकिनी की साधना का अर्थ इस शक्ति को नियंत्रित करना है। इस शक्ति को नियंत्रित होने पर साधक को भूत, प्रेत, पिशाच आदि को नियंत्रित कर सकता है वह इसे किसी व्यक्ति के कल्याण के लिए प्रयुक्त कर सकता है । डाकिनी के साधना में पूजा होम के बाद 1188 मंत्र से प्रतिदिन 108 मंत्रो को बढ़ाएं और 108 दिन तक करें समय का निर्धारण सिद्धि मिलने तक का है । डाकिनी शमशान या निरवता कि शक्ती है यह भूत, पिशाच, किन्नर या गंधार्व यह सभी को वश में करने की शक्ति हैं । संतान धन भोग के साथ-साथ यह ज्ञान एवं बुद्धि तथा कलात्मकता को भी प्रदान करती हैं इसकी सिद्धि के बाद सादा इससे असंभव कार्यों को भी सिद्ध कर सकता है । डाकिनी पहले साधक को डराती है फिर तरह-तरह की महक रूपों में भोग के लिए प्रेरित करती हैं इसकी भय या प्रलोभन से बचें । जिसने खुद के मस्तिष्क को पूर्णता निष्क्रिय करके खुद अपने रक्त की प्रवृत्ति का निरोध कर लिया वही डाकिनी का साधक बन सकता है । मस्तिष्क को सुन्य किए बिना डाकिनी सिद्ध नहीं होती निरंतर अभ्यास से डाकिनी को सिद्ध किया जा सकता है यदि कभी साधना भंग हो गई तो भी निराश ना हो प्रयत्न पुनः जारी रखें। इस सिद्धि से भविष्य दर्शन होता है अपना भी दूसरों का भी लेकिन किसी का उसका भविष्य ना बताएं डाकिनी को अकारण बुला कर तमाशा दिखाने या सामान्य भोगों को प्राप्त करने में प्रयुक्त ना करें साधना के समय भयावह आवाजें भी आ सकती हैं, आंधी तूफान जैसी प्रकोप हो सकते हैं पर इन से घबराएं नहीं । dakini tantra sadhana पूजा के बाद ध्यान से पूर्व देवी के ऊपर चढ़े सिंदूर का टीका आज्ञा चक्र पर लंबाई में दीपशिखा की तरह लगाएं डाकिनी की सिद्धि की प्राप्ति के लिए प्रतिमाह अमावस्या को कम से कम 1188 मंत्रों से जाप करके अनुष्ठान करना चाहिए डाकिनी के साधक को सदा दुराचार से बचना चाहिए और लोक कल्याण का भाव रखना चाहिए अन्यथा वह अपनी सिद्धि खो बैठेगा और उसका बुरा हश्र होगा डाकिनी के साधक को किसी पर क्रोधीत होने से बचना चाहिए, सच्चा साधक अपनी ताकत का प्रदर्शन नहीं करता, और ना ही वह अहंकारी होता है इन दोनों भाव और क्रिया में बहने से सिद्धि नष्ट हो जाएगी किसी भी व्यक्ति को रैंडम ली कहीं से भी साधना उठाकर साधना नहीं करनी चाहिए इस प्रकार की साधना है भयंकर होती हैं इसलिए इसी जानकारी के तौर पर ही समझे और ऐसे ही साधना करने ना बैठ जाए । गर साधना करनी ही है तो सबसे पहले किसी एक योग्य गुरु की तलाश करें जिसे इस प्रकार की साधनाएं सिद्ध हो उसी से दीक्षा लेकर भली-भांति साधनाओं को संपन्न करना चाहिए। mment

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