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जब जीवन में कष्ट संघर्ष आते हैं तो पूजा -पाठ ,मंदिर -गुरुद्वारा ,भगवान -देवी ,ज्योतिषी -तांत्रिक अधिक दिखाई देते हैं |हम जीवन में कष्टों का समाधान अक्सर वहां खोजते हैं जहाँ सीधा कष्ट का कोई मतलब नहीं होता |कष्ट -दुःख होने पर हम अपनी शक्ति बढाने ,कष्टों का कारण जान उन्हें हल करने की बजाय भगवान् की कृपा से उसे हटाने का प्रयास करते हैं पर अक्सर हमें असफलता मिलती है |बहुत प्रयास के बाद भी जब कोई अंतर नहीं आता तो हम अक्सर लोगों को कहते सुनते हैं की इतनी पूजा -आराधना करते हैं किन्तु कोई लाभ नजर नहीं आता ,पता नहीं भगवान् है भी की नहीं ,या वह हमारी सुनता क्यों नहीं |हम तो रोज पूरे श्रद्धा से इतनी देर तक पूजा करते हैं |पर हमारे कष्ट कम होते ही नहीं |पाप करने वाले ,पूजा न करने वाले सुखी हैं और हम इतनी सदाचारिता से रहते हैं ,पूजा-पाठ करते हैं ,अपने घर में भगवान् को बिठाये हैं पर हम कष्ट ही कष्ट उठा रहे हैं |हमने अपने पिछले अंक में कुछ कारणों का विश्लेष्ण इस सम्बन्ध में किया है |कुछ अन्य कारणों का विश्लेषण हम अपने इस अंक में करने का प्रयत्न करते हैं |
अधिकतर लोग भगवान् या देवी /देवता को मनुष्य मानकर चलते हैं जबकि वास्तविकता यह है की यह सब उर्जाये या शक्तियाँ हैं ,जिनके विशिष्ट गुणों के कारण हमने काल्पनिक रूप से उन्हें अपने जैसा मानकर ,अपने से जोड़ने के लिए उन्हें विशिष्ट आकृति ,विशिष्ट हथियार ,विशिष्ट रूप दिए हैं |इन्हें अपनी बात सुनाने के लिए इनके पद्धति के अनुसार ही पूजा ,अर्चना करनी होती है या भावनात्मक रूप से भी तब यह सुनती हैं जब आपकी भावना मीरा जैसी गहन हो जाए की कृष्ण को आना ही पड़े |यह उक्ति की “कलयुग केवल नाम अधारा “कष्टों -दुखों में फंसे होने पर पुकारने पर काम नहीं आती |आपकी पुकार में इतनी शक्ति होनी चाहिए की भगवान् नामक ऊर्जा आपसे जुड़ जाए |आपकी पूजा -अर्चना -साधना में इतनी शक्ति होनी चाहिए की सम्बंधित शक्ति का संपर्क आपके ऊर्जा से हो जाए |जब यह शक्ति संतुलन आपको कष्ट दे रहे समस्या के ऊर्जा से अधिक होगी तभी आपके कष्ट कम होंगे |भगवान् की आपसे जुडी शक्ति अगर कम हुई तो कष्ट कम नहीं होंगे |भगवान् की शक्ति सबसे बड़ी होती है पर महत्त्व यह रखता है की उसकी कितनी शक्ति आपसे जुडी है |इसे ही कहते हैं पुकार पर सुनना |जब अधिक शक्ति आपसे जुडती है तो वह शक्ति आपके मनोभावों के अनुसार क्रिया करती है और आपकी सफलता बढती है ,कार्य सफल होते हैं ,कष्ट कम होते हैं |[Mukti Marg]
अधिकतर लोगों के कष्ट उनके भाग्य में भी नहीं होते ,अपितु इसके कारण उन्हें प्रभावित कर रहे नकारात्मक प्रभाव होते हैं |भाग्य तो ग्रहों ,नक्षत्रों के संयोग से उत्पन्न प्रभाव हैं |यह प्रभाव पूरा मिले तो कहते हैं की पूरा भाग्य मिल रहा |ऐसे में ज्योतिषी की सारी भविष्यवाणी सही होती है |पर कितने लोगों के लिए ज्योतिषी की भविष्यवाणी सही होती है ?,कुछ बाते सही हो जाती हैं और कुछ नहीं |अच्छी बातें कम सही होती हैं और बुरी बातें जितना बताते हैं उससे भी अधिक सामने आती हैं |ऐसा नकारात्मक प्रभावों के कारण होता है |इनके कारण ही आपके कष्ट बढ़ जाते हैं |कारण यह होते हैं और लोग दोष भगवान् को देते हैं |भगवान् तो नहीं कहता की आप वास्तु दोष उत्पन्न करें ,आप पितरों को असंतुष्ट रखें ,आप भूत -प्रेत -आत्माओं को पूजें ,आप कुल देवता /देवी को भूल जाएँ |जब आप ऐसा करते हैं तो भगवान् को क्यों दोष दे रहे |किसी ने आप या आपके परिवार पर किसी प्रकार का अभिचार ,टोना -टोटका ,भूत -प्रेत भेज दिया ,आपकी किसी गलती से ब्रह्म -जिन्न -पिशाच आपके या आपके परिवार को प्रभावित करने लगा ,आपकी पूजा में इतनी शक्ति है नहीं की भगवान् की ऊर्जा आपसे इतनी जुड़े की इन शक्तियों को हटा सके तो यह आपको प्रभावित करेंगे ही |इसमें भगवान की कोई गलती नहीं |सच है की वह सर्वशक्तिमान है ,पर उसे पूरी शक्ति से आप बुलायेंगे तभी वह आएगा और आपसे जुड़ेगा |
हममें से बहुत से लोग घंटों पूजा करते हैं |कुछ लोग कई घंटे पूजा करते हैं फिर भी उनके कष्ट कम नहीं होते ,कुछ लोगों के कष्ट बढ़ते ही जाते हैं जितना अधिक वह पूजा करते हैं |यहाँ दो बातें होती हैं या तो उनके घर में इतनी शक्तिशाली नकारात्मक शक्ति है की वह पूजा पर दिक्कत उत्पन्न कर रही या तो उनकी पूजा में कहीं छोटी सी ही सही त्रुटी या गलती हो रही जिससे परिणाम ,दुस्परिनाम में बदल जा रहे |जितना पूजा कीजिये बिलकुल शिद्ध -सही ,त्रुटी रहित कीजिये तभी परिणाम मिलेंगे ,अगर गलती होती है तो दुष्परिणाम की मात्र कई गुना अधिक मिलने से आप और कष्ट पाने लगते हैं |एक बात और ध्यान देने की है आप अधिक पूजा कर रहे तो जिस शक्ति या देवता को बुला रहे वह जल्दी तो आएगा किन्तु तब आपको भी उसके अनुसार अपने आपको बदलना होगा |अपना आचार ,व्यवहार ,मानसिक स्थिति ,शारीरिक अवस्था ऐसा बनाना होगा की वह आपसे सामंजस्य बना सके ,ऐसा न होने पर विक्षोभ उत्पन्न होगा और आपके कष्ट बढ़ेंगे |भावना अपनी जगह है और आप भले माने की यह तो माता -पिता है कभी कष्ट नहीं दे सकते किन्तु यह शक्तियाँ हैं और उर्जा जब इनकी आती है और अपने अनुकूल वातावरण नहीं पाती तो आपके जीवन में उथल पुथल होती है इससे आपकी दिक्कत बढती है |यह नहीं दिक्कत करते आपकी स्थिति दिक्कत उत्पन्न करती है |
जब लोगों को बताया जाता है की आप पर या घर पर नकारात्मक उर्जा का प्रभाव है जिसके कारण कष्ट आ रहे हैं तो कुछ लोग यह भी कहते मिलते हैं की हम तो शिव ,हनुमान ,कृष्ण ,दुर्गा आदि की पूजा करते हैं रोज नियमित फिर हमें कष्ट क्यों है ,नकारात्मकता कैसे है |क्या यह भगवान् इसे नहीं हटा सकते ,या कोई तांत्रिक अभिचार कर रहा है तो क्यों ये देवी देवता रक्षा नहीं कर रहे |हमारे कष्ट क्या उन्हें दिखाई नहीं देते |क्यों वे हमारी नहीं सुन रहे |कुछ अंध श्रद्धालु इसे पूर्व जन्म का दोष देकर अपने को संतुष्ट रखने का प्रयत्न करते हैं की यह हमारे पूर्व जन्म के दोष हैं जिससे कोई पूजा पाठ नहीं लग रहा |
जब हम इसका विश्लेषण करते हैं तो इसके कई कारण मिलते हैं |अक्सर घरों में या मेट्रो शहरों में या कहीं और से स्थानांतरित होकर कहीं और बसे लोग अपने कुल देवता /देवी को भूल गए हैं या इनकी सही पूजा पद्धति ही भूल गए हैं ,जो की उनके कुल की रक्षा का कार्य करते थे तथा यही आपकी पूजा भगवान् तक पहुचाते थे |इससे दो दिक्कतें हुई |एक तो आपकी पूजा भगवान् को नहीं मिल रही दुसरे किसी प्रकार की बाहरी बाधा पर आपके पास कोई सुरक्षा घेरा नहीं रहा |यह काम कुल देवता /देवी करते हैं |कुल देवता /देवी के अभाव में यदि किसी तरह कोई भूत -प्रेत -ब्रह्म -जिन्न -पिशाच आपके यहाँ आ गया तो आपकी पूजा वह ले सकता है और अपनी शक्ति बढ़ा आपको ही परेशान कर सकता है |कोई भी आप पर किसी भी प्रकार का टोना -टोटका -अभिचार कर या करवा सकता है ,इनका प्रभाव कोई रोकने वाला नहीं होता |
आपके पित्र असंतुष्ट हैं तो वह आपकी शान्ति में विघ्न उत्पन्न करते हैं |इनमे कुछ अकाल मृत्यु से मरे लोगों की आत्माएं भी होती है जो अपनी शान्ति के लिए भी आपसे कुछ कर्म चाहते हैं ,आप ध्यान नहीं देते तो यह आपकी परेशानी बढाते हैं |इनके साथ अन्य मृतक आत्माएं भी जुडती है जिन्हें आपके घर से कोई लगाव नहीं होता अतः ये दूसरी आत्माएं आपका शोषण कर अपनी संतुष्टि करती है अथवा अपनी अतृप्त इच्छाएं पूर्ण करने का प्रयत्न करती हैं |आपके घर में चार लोग हैं पर खर्च होता है दस लोगों के बराबर |आय व्यय का संतुलन बिगड़ जाता है ,रोग -दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं |कभी आपने या आपके किसी पूर्वज ने किसी आत्मा ,मजार या ब्रह्म आदि को पूजना शुरू कर दिया जिससे उसका आपके घर में स्थायी डेरा हो गया |अब वह आपकी पूजा ले लेगा और आपकी पूजा कभी भगवान् तक नहीं पहुचेगी ऐसे में भगवान् आपकी नहीं सुनेगा ,चाहे आप जितना मंदिर में माथा पटको |आप कहीं भी चले जाएँ वह शक्ति आपसे हर जगह पूजा चाहेगी |पूजा छोड़ने पर परिवार को परेशान करेगी |किसी ने आप या आपके परिवार पर कोई अभिचार या टोना टोटका कर दिया ,जिससे आपके यहाँ नकारात्मक ऊर्जा बढ़ गयी ऐसे में भी आपकी उन्नति -सुख -शान्ति प्रभावित हो जाती है |केवल प्रार्थना से भगवान् इन्हें नहीं हटाता अपितु विशेष ऊर्जा इन्हें हटाने के लिए चाहिए होती है क्योकि यह एक शक्ति का प्रक्षेपण होता है |आपके पास बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं तो गोली तो आपको लगेगी ही |यह कुछ ऐसी ही क्रिया होती है | ऐसे में आप चार घंटे रोज पूजा करो मिलेगा कुछ नहीं |
आपने मकान बनाया है जिसमे वास्तु दोष हो गया है |आप पूजा करके रोज १०० ग्राम शक्ति उत्पन्न करते हैं ,जबकि वास्तु से एक किलोग्राम नकारात्मक शक्ति उत्पन्न हो रही |जब 900 ग्राम अधिक बुरी ऊर्जा उत्पन्न हो रही तो वह आपको पीछे ही तो ले जायेगी और आपकी परेशानी बढ़ाएगी ही |भगवान् तो अपना काम कर रहा ,आपकी जितनी पूजा उतनी ऊर्जा आपको दे रहा पर नकारात्मकता अधिक हो रही तो भगवान् क्या करेगा |आपके मकान के नीचे किसी तरह का हड्डी ,या शव दबा है जिससे कोई शक्ति जुडी है ,तो वह तो परेशान करेगी ही जब आप उस मकान में रहेंगे |कोई किसी मकान ,स्थान पर जलाकर ,डूबकर या दुर्घटना में मरा है तो वह उस स्थान से जुडा रहता है |चूंकि वह खुद अतृप्त /असंतुष्ट होता है अतः वहां रहने वालों को भी परेशान करता है या अपनी तृप्ति का प्रयास करता है |जब तक उसे हटाने लायक शक्ति न लगाईं जाए या ,सुरक्षा की व्यवस्था न की जाए या विशेष तकनीक न अपनाई जाए ,मात्र प्रार्थना -पूजा से भगवान् उन्हें नहीं हटाता |ऐसे में आप पूजा करते रहते हैं फिर भी आपको परेशानी होती रहती है |यहाँ एक दिक्कत और है आप पूजा सात्विक देवी देवता की कर रहे जबकि इन शक्तियों को हटाने के लिए उग्र देवी /देवता चाहिए |सात्विक देवी देवता सकारात्मक ऊर्जा बढ़ा तो सकते हैं पर इन्हें हटाने को तो उग्र शक्तियां ही चाहिए वह भी पूरी शक्ति के साथ |
यह सब ऊर्जा का खेल है |देवी/देवता सब उर्जायें हैं |जो जितनी शक्ति से इन्हें जो दिखाता है उनसे वैसा करा लेता है |यह पूजा -साधना करने वालों की आँखों से ,उसके मनोभावों से सब देखती है |यह तब होता है जब वह व्यक्ति से जुडती हैं |मात्र पूजा करने ,माथा पटकने से यह नहीं देखती |इन्हें कुछ दिखाने के लिए ,इन्हें सुनाने के लिए इन्हें खुद से जोड़ना होता है और खुद से इन्हें जोड़ना आसान नहीं होता |जब आप इतना डूब जाएँ उनके भाव में की वह और आप एकाकार हो जाएँ तब वह आपसे जुड़ता है और तभी वह आपकी सुनता है |इसके पहले तक आप जितनी ऊर्जा उत्पन्न कर रहे और आपको जितनी ऊर्जा विपरीत प्रभावित कर रही इसके शक्ति संतुलन पर ही आपका जीवन चलता है |यह उपरोक्त कुछ कारण हैं जो लोगों की पूजा के अपेक्षित परिणाम में बाधक होते हैं |यद्यपि और भी कारण होते हैं पर अधिकतर कष्ट के और पूर्ण परिणाम न मिलने के ये कारण हैं |इन पर अगर ठीक से ध्यान दिया जाए तो लाभ बढ़ सकती है